सुंदरता के लिए कामदेव मंत्र

सुंदरता के लिए कामदेव मंत्र

खूबसूरती को लेकर हर समाज का एक अलग नजरिया होता है लेकिन दुनिया का हर इंसान खूबसूरत दिखना चाहता है यह बात बिना शक कही जा सकती है| कुछ लोग जन्म जात रूप से सुन्दर होते हैं| इनकी अच्छी कद काठी होती है, नैन नक्श नीखे होते हैं, रंग गोरा होता है| अब अगर यह कहा जाए कि ऐसी बातें जिनके व्यक्तित्व में होंगी वह सभी सुन्दर होंगे तो यह गलत है| दरअसल सुन्दर और असुंदर को लेकर हर समाज का नजरिया अलग अलग होता है| जैसे कुछ देशों में चमकता काला रंग, मोटे नाक, लम्बी गर्दन छोटे पैर आदि खूबसूरती के मानक होते हैं| इसके अलावा गोर रंग को लेकर भी हर समाज की धारणा अलग अलग होती है| भारतीय समाज गोरे रंग को लाकर दीवानी है| लडकों को थोड़ी मुरव्वत मिल भी जाए तो लड़कियां इस धारणा से नहीं बच पातीं| जिन लड़कियों का रंग गोरा नहीं होता, उनकी शादी नहीं हो पाती| माता पिता सिर धुनते रह जाते हैं की पता नहीं इसकी शादी कैसे होगी|  वैसे यह सोच सही नहीं है| कई सांवले या काले लोग भी किसी को सुन्दर दिख सकते हैं|

सुंदरता के लिए कामदेव मंत्र
सुंदरता के लिए कामदेव मंत्र

एक मशहूर किस्सा है कि किसी ने मजनू से कहा कि भई ये लैला तो बिलकुल काली है| इस पर तुम्हारा दिल कैसे आ गया| मजनू ने कहा -तुम लोगों के पास देखने वाली आँखें ही नहीं है| इसलिए कई बार कहा जाता है कि सौंदर्य तो देखने वालों की आँखों में होती है|

सौंदर्य मंत्र साधना

सौंदर्य के लिए विभिन्न अभिमत होने के बाद भी आगर आप को लगता है कि आप सुन्दर नहीं है तो इस साधना को कर सकते हैं| वैसे इस साधना को प्रारंभ करने से पूर्व एकांत में आईने के सामने प्राकृतिक अवस्था में खड़े हो जाएँ| अब अपने आप से पूछें कि मैं सुन्दर क्यों नहीं हूँ| क्या नुक्स है| कई बार तो इंसान कोई नुक्स नहीं निकाल पाता क्योंकि इश्वर की रचना में कोई खोट नहीं होती| फिर भी आपको लगता हो तो इस साधना को करे| अब आप यह पूछ सकते हैं की यदि इश्वर की रचना में कोई खोट नहीं होती तो इस साधना को करने से क्या होगा| दरअसल कोई भी साधना नाक छोटी बड़ी, होंठ मोटे पतले, लम्बाई छोटी बड़ी. रंग गोरा या काला नहीं बना सकती| इस साधना से संपूर्ण व्यक्तित्व में एक कांति या आभा आ जाती है जो अंतस का प्रकाश होता है| इस कांति या आभा से युक्त किसी भी व्यक्ति से आप मिले उसमे अनोखा आकर्षण महसूस होगा|

विधि : यह कोई तांत्रिक प्रयोग नहीं है| सीधी सी भक्ति मार्गी साधना है| इसमें नित्य दैनिक पूजा के समय दुर्गा सप्तशती में वर्णित ‘अर्गला स्तोत्र’ का पाठ करें| यह एक छंद में निरुपित है| इसके हर छंद में लौकिक सुख हेतु देवी से याचना के उपरान्त ‘रूपं देहि जयं देहि, यशो देहि द्विशो जाहि’ की बात कही गई है| उदहारण के लिए –

देहि सुअभाग्यमारोग्यं देहिमे परमं सुखं|

रूपं देहि जयं देहि,यशो देहि द्विषो जाहि|

प्रतिदिन इस मंत्र का पाठ करें| धीरे-धीरे मुखमंडल पर एक तेज अनुभव करेंगे| यह साधारण सी बात है कि जब आप किसी के लिए अच्छा सोचते हैं आपका चेहरा सुन्दर दिखता है सौम्यता नज़र आती है| लेकिन जैसे ही आप किसी की चुगली करते हैं, बुराई करते हैं या बुरा सोचते हैं आपका चेहरा भी विद्रूप हो जाता है| अतः काफी हद तक हमारे चेहरे की खूबसूरती हमारी सोच पर निर्भर करती है| सकारात्मक सोच रखने वाले लोग चेहरे से भी सौम्य होते हैं|

इसके अलावा सौंदर्य हेतु मातृका साधना भी की जा सकती है| इसके लिए सर्वप्रथम निम्लिखित मन्त्र कंठस्थ कर लें –

ॐ एं ह्रिं षोडश मातृकाभयो नमः

गुरुवारा के ुदिने प्रातः काल लाल आसन ेंपर उत्तर की और मुख करके इस मंत्र का जाप कम से कम एक माला करें| गुरूवार से प्रराम्भ कर अगले नौ दिनों तक इसे जारी रखें| नौवे दिन तक व्यक्तित्व में अलग सी गरिमा और आभा आ जाती हैं| यह स्निग्धता किसी को भी आकर्षित कर सकती है|

सुंदरता के लिए कामदेव मंत्र

प्रेम और सौदर्य के देवता कामदेव की आराधना से रुप लावण्य की प्राप्ति की जा सकती है| कहते हैं मनुष्य इतना स्वार्थी और आलसी है की यदि उसमें प्रेम और आसक्ति की भावना न हो तो वह संतानोत्पत्ती भी नहीं करेगा| अपने प्रिय के पास भी वह काम से वशीभूत होकर ही जाता है| काम जीवन का मूल है, इसका उद्देश्य श्रष्ट संतान उत्पन्न करना और सहचर को प्रेम देना है| वैसे बलात्कार भी काम उद्दीपन से ही होते हैं लेकिन कोई भी ज्ञानी ऐसा नहीं कह सकता कि कामदेव के आशीर्वाद से बलात्कार होते हैं|   पौराणिक आख्यान के अनुसार  ब्रम्हा जी ने १२ स्थान कामदेव के वास के लिए निश्चित किये है| स्त्री के कटाक्ष, केश, जंघा, जंघा मूल, अधर, वक्ष कोयल की कूक, चांदनी रात, चैत्र और वैशाख माह के साथ वर्षा ऋतू भी प्रदान किये हैं| इसके अलावा, इत्र, पुष्प, मंद शीतल वायु, वाटिका, सुन्दर पोशाक आदि कामदेव को प्रिय हैं|

सौंदर्य प्राप्ति हेतु कामदेव का बीज मंत्र [‘क्लीं कामदेवाय नमः का पाठ करना चाहिए:

इस मंत्र का जाप नित्य भी किया जा सकता है लेकिन प्रारंभ शुक्ल पक्ष में करें|

इस मंत्र का जाप अगर स्त्रियाँ कर चाहती हो तो इसके साथ साथ सुन्दर सोच रखें , साफ़ -स्वच्छ वस्त्र पहने, कपट रचने, चुगली करने या किसी प्रकार की कुचर्चा से दूर रहें| अगर पुरुष इस कामदेव की साधना करना चाहते हैं तो सबसे पहले स्त्री को सहचरी समझें, दमन भाव के स्थान पर साहचर्य की कामना करें, हिंसक सोच न रखें| और यह ध्यान रखें कि कामदेव का वास स्त्री शरीर में हैं| अगर उन्हें प्रसन्न करना है तो स्त्रियों के साथ बुरा बर्ताव करने के बारे में आपको सोचना भी नहीं चाहिए|